तनाव व कृषि कार्य में बढते केमीकल के प्रयोग से बढ़ रहे ब्रेन ट्यूमर के मरीज – डां. अमितेन्दु शेखर, न्यूरोसर्जन

ब्रेन ट्यूमर की जागरुकता के लिए निःशुल्क वार्ता का आयोजन पारस जे.के. हाॅस्पिटल अस्पताल में किया गया

उदयपुर। प्रोफेशनल कॉम्पीटिशन के साथ अब हर उम्र के लोगों में तनाव आम समस्या बनकर उभर रहा है। इसके कारण कई बार हमारी लाइफ  स्टाइल में बदलाव होते हैं, लेकिन हम इसे नजर अंदाज कर देते हैं। उसी तरह आज हर शहर में बच्चों से लेकर बड़ों में भी सिरदर्द आम समस्या है। यह ब्रेन ट्यूमर का एक प्रमुख लक्षण भी हो सकता है। कई बार लोग इस बीमारी को पहचान नहीं पाते और मुसीबत में फंस जाते हैं।

ब्रेन इंसान का सबसे महत्वपूर्ण अंग होता है। दिमाग की संचालकता को देखकर ही मनाव शरीर का अंदाजा हो जाता है। लेकिन बिगड़ते लाइफस्टाइल को देखते हुए ब्रेन ट्यूमर का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है। यह एक बहुत ही घातक रोग है। वर्ल्ड ब्रेन ट्यूमर डे जागरुकता के लिए मनाया जाता है। सबसे पहले इसकी शुरुवात जर्मनी में जर्मन एज्युकेषन फाउडेषन के द्वारा की गई इधर आधुनिक चिकित्सा में पहले के मुकाबले खतरा भी एक फीसदी से कम है। ब्रेन ट्यूमर की बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है। ज्यादातर 50 वर्ष के बाद होता है। सामान्य दिखने वाला, सुबह के समय होने वाला सिरदर्द भी ब्रेन ट्यूमर के प्रारंभिक लक्षणों में से एक हो सकता है।

डां. अमितेन्दु शेखर  वरिष्ठ न्यूरो सर्जन पारस जे. के. हाॅस्पिटल के अनुसार शरीर में बनने वाले सेल्स कुछ समय बाद नष्ट हो जाते हैं। उनकी जगह नए सेल्स बनते हैं। यह एक साधारण प्रक्रिया है। जब यह प्रक्रिया बाधित होती है, तो ट्यूमर सेल्स बनने लगते हैं। ट्यूमर कई कारणों से बन सकते हैं व यह शरीर के अंदर व बाहर दोनों ही जगह पर हो सकते है। विशेष प्रकार के विषाणु के संक्रमण से, प्रदूषित पदार्थों के साथ शरीर में प्रवेश कर जाना इत्यादी जमा होकर टिशु बनाते हैं।

आजकल सब्जियों से लेकर गेहूं, दाले आदि सबकों ज्यादा पैदावार करने के लिए व ज्यदा पहले पकाकर अधिक पैसा कमाने के लिए किसान कई प्रकार का रसायनिक छिडकाव उन पर करता है। जिससे की खाने के साथ-साथ केमिकल मानव शरीर के अंदर जाते है और केंसर कारक ट्यूमर का कारण बनते है।

दो प्रकार का होता है ट्यूमर –

ब्रेन ट्यूमर का उपचार ट्यूमर का प्रकार उसके आकार और स्थान पर निर्भर करता है। बिनाइन ट्यूमर कैंसर रहित होता है। ट्यूमर को ऑपरेशन करके निकाला जा सकता है। जबकि मेलगनेंट ट्यूमर को थोड़ा-थोड़ा करके निकाला जाता है। चिकित्सकों के अनुसार बच्चों में इसका उपचार संभव है, जबकि बड़ों में कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी देकर इसे निकाला जा सकता है। ऐसे में मरीज का किसी स्पेशलिस्ट को दिखाकर ही इलाज कराना उचित है।

इन जांचों से लगाया जाता है पता –

आमतौर पर शुरुआती लक्षण आम होने से मरीज लापरवाही बरतता है, लेकिन इसके लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। ब्रेन ट्यूमर की पुष्टि के लिए एमआरआई, सीटी स्कैन, एंजियोग्राफी, स्पाइनल टेप, बायोप्सी आदि प्रमुख हैं।

ब्रेन ट्यूमर के लक्षण – सुबह उठने के तुरंत साथ ही सिर में दर्द होना, अचानक उल्टी जैसा महसूस होना, व्यक्ति के व्यवहार में परिवर्तन आना, छोटी-छोटी बातों में चिड़चिड़ाहट होना, आंखों की रोशनी कम होना, बोलते बोलते मुंह से आवाज ना निकलना, मानसिक क्षमताओं में बदलाव, शरीर के एक हिस्से में कमजोरी होना, रोजाना के कामों में गड़बड़ी करना, दौरे पडना और कम सुनाई देना।

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