कोचिंग सेंटर (नियंत्रण और विनियम) विधेयक 2025 को विस्तृत विचार विमर्श हो : अनिता भदेल
अजमेर। अजमेर दक्षिण विधायक अनिता भदेल ने सोमवार को विधानसभा में राजस्थान कोचिंग सेंटर (नियंत्रण और विनियम) विधेयक 2025 पर चर्चा करते हुए सदन मंे कहा कि इए विधेयक में करीब 29 धाराएं है तथा काफी बड़ा एवं महत्वपूर्ण विधेयक है, जिसे जल्दबाजी में ना लाया जाकर विस्तृत विचारविमर्श व पूरे गुणावगुण पर अवलोकन कर लेकर आना चाहिए। क्योंकि यह विधेयक प्रदेश की अर्थव्यवस्था व रोजगार पर सीधे-सीधे प्रभाव डालता है।
कोचिंग सेंटरों में अध्ययनरत विद्यार्थियों की सीमा 50 से अधिक की जावे
भदेल ने इस विधेयक की नियमों पर सदन का ध्यान आकर्षित कर अवगत कराया है। यह विधेयक उन सभी कोचिंग सेंटर पर लागू होने वाला है, जिसमें 50 अथवा इससे अधिक विद्यार्थी अध्ययन करते है परन्तु यह नियम व्यवहारिक नहीं है। क्योंकि बड़े कोचिंग सेंटर तो आय अधिक होने से अपनी व्यवस्था को बना लेंगे। परन्तु जो कोचिंग सेंटर ग्रामीण इलाकों में अथवा दूरस्त इलाकों में संचालित हो रहे है, जो उन शिक्षकों का रोजगार भी है, वे इस विधेयक के प्रावधानों का पूर्ण रूप से पालना नहीं कर पाएगें। क्योंकि उनके पास विधेयक के प्रावधानों के अनुरूप अपने कोचिंग सेंटर को स्थापित करने के लिए पर्याप्त पूंजी नहीं होगी। ग्रामीण इलाकों में संचालित कोचिंग सेंटर तो कम आए वाले परिवार के विद्यार्थियों को भी अध्यापन करवाकर सरकार को सहारा देने का कार्य करते है। ऐसे कोचिंग सेंटरों में अध्ययनरत बच्चों की संख्या की सीमा को बढ़ाया जाना चाहिए।
कोचिंग सेंटरों में अध्ययनरत विद्यार्थियों ने प्रदेश का नाम रोशन किया
प्रदेश में संचालित कोचिंग सेंटर से प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से लगभग दस लाख लोग लाभान्वित होते है, उन्हें किसी ना किसी प्रकार का रोजगार उपलब्ध होता है। साथ ही इन कोचिंग सेंटरों में लगभग पचास लाख विद्यार्थी कोचिंग लेते है, जो प्रदेश, पडौसी राज्य अथवा केन्द्र सरकार द्वारा आयोजित विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में भाग लेकर रोजगार प्राप्त करते है। इन विद्यार्थियों द्वारा प्रतियोगी परीक्षाओं को पास करने से इन्हें तो रोजगार मिलता है। इनके साथ-साथ ये प्रदेश का नाम भी रोशन करते है। उदाहरण देते हुए भदेल ने गर्व महसूस करते हुए बताया कि इन कोचिंग सेंटरों में अध्ययनरत विद्यार्थियों की बदौलत ही यूपीएससी व एसएससी में प्रदेश का स्थान भारतवर्ष में दूसरे स्थान पर आता है। इसके अतिरिक्त नीट, सीए, सीएस आदि परीक्षाओं में भारत में राजस्थान ने टॉप किया है।
कोचिंग सेंटरों के संचालन से प्रदेश को राजस्व अर्जित होता है-भदेल
विधायक भदेल ने इस बिल के प्रावधानों में गंभीरतापूर्वक विचार करने पर जोर देते हुए अवगत करवाया कि कहीं इनका दुस्प्रभाव इन कोचिंग सेंटर पर ना पड़े। क्योंकि विधेयक के प्रावधानों की कठोरता के कारण ये कोचिंग सेंटर प्रदेश से पलायन ना कर जाए, इस विषय पर भी हमें ध्यान देना चाहिए। क्योंकि दस लाख लोग किसी ना किसी रूप में रोजगार प्राप्त कर रहें है। साथ ही जीएसटी के द्वारा राजस्व लाभ भी सरकार को प्राप्त होता है।
जनप्रतिनिधि को भी शामिल किया जावे
इस विधेयक पर सुझाव देते हुए भदेल ने कहा कि इस बिल में नौकरशाही को सर्वेसर्वा बनाया गया है, जिसमें संशोधन करके गैर सरकारी व्यक्ति, प्राधिकरण लेवल के अधिकारी अथवा जन प्रतिनिधि को सम्मिलित करना चाहिए। ताकि जनता की भावना का इसमें समावेश किया जा सके। साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा बनाई गई विकास संबंधी समितियों में जिला कलेक्टर को अध्यक्ष बनाया जाता है, इन समितियों की संख्या कई बार 50 तक पहुंच जाती है, जबकि इन अधिकारियों के पास इन समितियों की बैठक में जाने का समय ही नहीं मिल पाता है। केवल कागजों में ही नाम लिखा जाता है। जिसके कारण सरकार की मंशा के अनुरूप कार्य नहीं हो पाता है। उदाहरण देते हुए भदेल ने बताया कि सर्तकता समिति जैसी महत्वपूर्ण बैठकों में भी जिले के एस.पी. नहीं पहुंचते है, जिससे उनके होने ना होने से कोई फर्क नहीं पड़ता है।
अभिभावकों की जवाबदेही भी तय की जानी चाहिए-भदेल
अभिभावकों की जिम्मेदारी तय करने हेतु विधायक भदेल ने सुझाव दिया कि प्रदेश के कोचिंग सेंटरों पर अध्ययनरत विद्यार्थियों में से पिछले 10 वर्षों में करीब डेढ़ सौ स अधिक विद्यार्थियों द्वारा आत्महत्याएं की गई है। जिनके लिए अकेले कोचिंग सेंटर जिम्मेदार नहीं है। इन कोचिंग सेंटरों के साथ-साथ अभिभावक भी उतने ही जिम्मेदार है, उनकी भी जवाबदेही तय की जाकर उनकी काउंसलिंग की जानी भी नितांत आवश्यक है। क्योंकि अभिभावकों द्वारा अपने बच्चों पर उनकी क्षमता से अधिक दबाव डाला जाता है और अपनी मान प्रतिष्ठा का हवाला देकर पढ़ने में टॉप किए जाने हेतु मजबूर किया जाता है।
केन्द्र सरकार के प्रावधान भी इस विधेयक में लिए जाने चाहिए
विधायक भदेल ने केन्द्र सरकार के कोचिंग सेंटरों पर बने प्रावधानों के बारे में अवगत करवाते हुए बताया कि 16 वर्ष के कम आयु के बच्चों को कोचिंग सेंटरों में अध्ययन की अनुमति नहीं दी जाती है। क्योंकि इस उम्र तक उनका आईक्यू लेवल परिवक्व नहीं हो पाता है। उसकी तरह से प्रदेश में भी संचालित कोचिंग सेंटरों में 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को पढ़ाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
कोचिंग सेंटरों पर उनकी क्षमता के अनुसार जुर्माना अधिरोपित किया जावे
विधायक भदेल ने अन्य सुझाव दिया कि इस विधेयक के माध्यम से लाइसेंस राज नहीं आना चाहिए। लाईसेंस राज आया तो इससे विधेयक के प्रावधानों का दुरूपयोग होगा और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही अनियमितता आए जाने पर कोचिंग सेंटरों पर जो जुर्माना दो लाख रूपए एवं पांच लाख रूपए का प्रावधान किया गया है। उसमें संशोधन करते हुए कोचिंग सेंटरों की क्षमता के अनुसार उन पर अनियमितता बरतने पर जुर्माना अधिरोपित किया जाना चाहिए।
विधेयको को वर्तमान परिस्थितियों के अनुसार संशोधित किया जावे
इससे पूर्व विधायक भदेल ने निरसन विधेयक पर चर्चा करते हुए कहा कि प्रदेश में बहुत सारे विधेयक है जो वर्तमान में परिस्थितियों के अनुसार अनुकुल नही है। ऐसे विधेयको के संबंध में समिति बनाई जाकर इन विधेयकों में आवश्यकतानुसार परिवर्तन कर वर्तमान परिस्थितियों के अनुसार जटिलताओं को दूर करते हुए बनाई जानी चाहिए।
विधि विभाग के पदो का केडर बनाया जावे
विकास प्राधिकरण एवं न्यास संशोधन विधेयक पर चर्चा करते हुए विधायक अनिता भदेल ने अपना सुझाव देते हुए बताया कि प्रदेश के विभिन्न विभागो में विधि विभाग से संबंधित पदो की आवश्यकता होती है। इस हेतु सरकार को एक विधि विभाग के पदो से संबंधित केडर बनाकर उनकी भर्ती की जानी चाहिए ताकि प्रतिनियुक्ति प्रक्रियाओं की जटिलता से बचा जा सके।