मंदिर माफी की जमीनों पर भूमाफियाओं के कब्जे, पुजारियों को संरक्षण दे सरकार – संदीप शर्मा
जयपुर। विधायक संदीप शर्मा ने सरकार से मांग की है कि प्रदेश में हजारों बीघा मंदिर माफी की जमीनों पर भूमाफियाओं ने कब्जा कर लिया है, इन कब्जों के लिए पुजारियों पर हमले और हत्या की जघन्य घटनाएं हुई हैं, इसलिए सरकार तत्काल कब्जे हटाने के लिए अभियान चलाये और पुजारियों को संरक्षक प्रदान करे। विधायक शर्मा ने पर्ची के माध्यम से सदन में यह मामला उठाया जिसका समर्थन करते हुए विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा कि अजमेर में भी भूमाफियाओं ने कब्जे करके कॉलोनी काटकर मकान बना लिये हैं, ऐसी स्थिति में जहां सुप्रीम कोर्ट का डिसीजन है कि मंदिर माफी बेची नहीं जा सकती, इनकी एफआईआर दर्ज है, तो सरकार कठोरतम कार्रवाई ऐसे लोगों के खिलाफ करे, प्रांत में जहां भी है, सब जगह कार्रवाई करे।
विधायक शर्मा ने बजट में मंदिरों में भोग राशि बढ़ाकर 3 हजार तथा पुजारियों का मानदेय बढ़ाकर 7 हजार 500 रुपये प्रतिमाह करने पर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि 70 साल में मंदिरों के हित में जिनके काम नहीं हुए, उतने भजनलाल सरकार ने 1 साल में कर दिए। उन्होंने बताया कि 1963 में राजपत्र की घोषणा के अनुसार मंदिर माफी की जमीनों पर पुजारियों को खातेदारी दी गई थी। चूंकि इन जमीनों का लगान वसूल कर लिया गया था इसलिए इनकी माफी भी खत्म है। वर्ष 1991 में राजस्व विभाग ने मंदिरों की जमीनों से पुजारियों के नाम हटाने के और इसका नोट राजस्व रिकॉर्ड में डालने का सर्कुलर जारी किया गया। लेकिन इसकी पालना में मंदिरों की जमीनों से पुजारियों के नाम हटाने के साथ ही समस्त पुजारियों के नाम खातों से हटा दिये गये। यहां तक कि आनुवांशिक खातेदारों को भी हटा दिया।
नियमों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि जागीर अधिनियम की धारा 9 तथा टीएनसी एक्ट, राजस्थान काश्तकार अधिनियम की धारा 46 के तहत भी वंशानुगत तरीके से पुजारियों को मंदिर की जमीनों का स्वाभाविक खातेदार माना गया है। ऐसे में राजस्व विभाग का उक्त परिपत्र इन अधिनियमों का उल्लंघन करता है।
हालांकि 2007, 2010 और 2018 के परिपत्रों ने सरकार ने अपनी भूल मानी कि पुजारियों की खातेदारी गलत तरीके से हटाई गई है। लेकिन आज दिनांक तक भी इस भूल का सुधार कर पुजारियों के नाम वापस खातों में नहीं चढ़ाये गये हैं। इसके कारण आम पुजारियों को कृषि भूमि का कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। वहीं दूसरी ओर जबकि जो खातेदारी पुजारियों के नाम नहीं खुल पा रही है, वही जमीनें भूमाफियाओं द्वारा कब्जा कर अपने खाते खुलवाई जा रही है। इन मंदिरों की जमीनों पर कब्जे के लिए भूमाफियाओं द्वारा हत्या, धमकाने, मारपीट कर गैरकानूनी रूप से खाते बंधवाने के कई प्रकरण सामने आये हैं। हाल ही में दौसा के महुआ में शम्भू पुजारी की हत्या इसका उदाहरण है।
उन्होंने कहा कि मंदिर हमारी संस्कृति के पोषक तत्व हैं जो विभिन्न जातियों को श्रद्धा के एक सूत्र में संगठित करने का कार्य करते हैं इसलिए इनका संरक्षण अत्यंत आवश्यक है। मेरा आग्रह है कि मंदिर माफी की जमीन पर कब्जे एवं पुजारियों पर हमले के मामलों पर सख्त कार्रवाई की जाये तथा मंदिर माफी की जमीनों एवं पुजारियों को राजकीय संरक्षण प्रदान किया जाये। वहीं पुजारियों के हित में 1991 के रेवेन्यू परिपत्र को रद्द करते हुए पुजारियों को पुनः खातेदारी प्रदान की जाये।