देव व्रत भट्ट का नया गीत “खुशबू” — आत्मीय और पवित्र प्रेम की महक
– संचित माथुर –
जयपुर। भारतीय संगीत की गहरी विरासत और अपने भट्ट घराने की परम्परा को आगे बढ़ाते हुए और अपनी अलग पहचान गढ़ते हुए युवा संगीतकार और गायक देव व्रत भट्ट ने अपना नया गीत “खुशबू” पेश किया है। यह गीत एक कोमल, सुकूनभरा अनुभव है जो प्लैटोनिक (आत्मीय, पवित्र) प्रेम को समर्पित है — ऐसा विषय जिसे समकालीन संगीत में बहुत कम इतनी संवेदनशीलता और सरलता के साथ गाया गया है।
खुशबू” इस परंपरा और प्रयोगशीलता का अनोखा संगम है। इस गीत में वे उन रिश्तों की मासूमियत और आत्मीयता को सुरों में पिरोते हैं जो किसी चाहत या शर्त पर नहीं, बल्कि एक शुद्ध जुड़ाव पर टिके होते हैं — जैसे मित्रता, साथ और आत्मा से आत्मा का संवाद। गीत के बोल दिवंगत मशहूर शायर, भव्य ने लिखे हैं, जिनकी सादगी और पवित्रता संगीत के एहसास को और गहराई देती है।
रिलीज़ के अवसर पर देव व्रत भट्ट ने कहा कि, “यह गीत उन रिश्तों की ख़ुशबू है जिन्हें परिभाषा की ज़रूरत नहीं होती। जैसे हवा में बसी महक महसूस तो होती है, पर दिखाई नहीं देती — वैसा ही प्रेम, जो सिर्फ आत्मा से आत्मा तक पहुँचता है।”

