कांग्रेस की सरकारों ने जाति जनगणना का हमेशा किया विरोध :- मदन राठौड़

मोदी सरकार का जातिगत जनगणना को लेकर किया गया फैसला देश और समाज के हित में – मदन राठौड़

– संचित माथुर –

जयपुर। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने मोदी सरकार के जातिगत जनगणना को लेकर लिए गए फैसले का स्वागत योग्य बताया। राठौड ने कहा कि प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कैबिनेट समिति ने यह निर्णय लिया है, कि जातियों की गणना को आने वाली जनगणना में सम्मिलित किया जाए। यह इस बात को दर्शाता है कि वर्तमान सरकार देश और समाज के सर्वांगीण हितो और मूल्यों के लिए प्रतिबद्ध है।

 

भाजपा प्रदेश मदन राठौड़ ने कहा कि कांग्रेस की सरकारों ने आज तक जाति जनगणना का विरोध किया है। आजादी के बाद की सभी जनगणनाओं में जातियों की गणना नहीं की गयी। वर्ष 2010 में, तत्कालीन प्रधानमंत्री दिवंगत डॉ. मनमोहन सिंह ने लोकसभा में आश्वासन दिया था, कि जाति जनगणना पर केबिनेट में विचार किया जाएगा। तत्पश्चात एक मंत्रिमण्डल समूह का भी गठन किया गया था, जिसमें अधिकांश राजनैतिक दलों ने जाति आधारित जनगणना की संस्तुति की थी। इसके बावजूद कांग्रेस की सरकार ने जाति जनगणना के बजाए, एक सर्वे कराना ही उचित समझा जिसे SECC के नाम से जाना जाता है। इस सब के बावजूद , कांग्रेस और इंडी गठबंधन के दलों ने जाति जनगणना के विषय को केवल अपने राजनैतिक लाभ के लिए उपयोग किया।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने कहा कि जनगणना का विषय संविधान के अनुच्छेद 246 की केंद्रीय सूची की क्रम संख्या 69 पर अंकित है और यह केंद्र का विषय है। हालांकि, कई राज्यों ने सर्वे के माध्यम से जातियों की जनगणना की है। जहां कुछ राज्यो में यह कार्य सूचारू रूप से संपन्न हुआ है वहीं कुछ अन्य राज्यों ने राजनैतिक दृष्टि से और गैरपारदर्शी ढंग से सर्वे किया है। इस प्रकार के सर्वें से समाज में भ्रांति फैली है।

इन सभी स्थितियों को ध्यान में रखते हुए और यह सुनिश्चित करते हुए कि हमारा सामाजिक ताना बाना राजनीति के दबाव मे न आये, जातियों की गणना एक सर्वें के स्थान पर मूल जनगणना में ही सम्मिलित होनी चाहिए। इससे यह सुनिश्चित होगा, कि समाज आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से मजबूत होगा और देश की भी प्रगति निर्बाध होती रहेगी।

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