यह हम सबके लिए एक चेतावनी है: आदेश चौधरी, जब लोग आत्महत्या जैसे सवालों के लिए ChatGPT पर सलाह ढूँढ रहे हैं
मुंबई। लागी तुझसे लगन, ससुराल सिमर का और दिया और बाती हम जैसे शोज़ में नज़र आ चुके आदेश चौधरी कहते हैं कि लोग आत्महत्या से जुड़े सवालों के लिए ChatGPT जैसी AI तक पहुँच रहे हैं, यह बहुत चिंता की बात है। उनके अनुसार यह बढ़ती मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का साफ संकेत है।
आदेश कहते हैं, “मुझे यह बेहद परेशान करने वाला लगता है। यह हम सब—टेक दुनिया और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री—के लिए एक जागने वाला इशारा है। हमें सुनिश्चित करना चाहिए कि ChatGPT जैसे AI टूल्स में ऐसी सुरक्षा हो जो दुख या परेशानी जताने वाले लोगों को प्रोफेशनल मदद या हेल्पलाइन की ओर भेज सके।”

वे मानते हैं कि ऐसे समय में लोगों को प्रोफेशनल हेल्पलाइन की ओर ही जाना चाहिए। आदेश कहते हैं, “अगर आप या आपका कोई अपना संघर्ष कर रहा है, तो कृपया किसी मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से बात करें या भारत की आसरा हेल्पलाइन (9820466726) पर संपर्क करें।”
हालाँकि वे मानते हैं कि टेक्नोलॉजी ने लोगों को जोड़ने का तरीका बदल दिया है, लेकिन बिना संतुलन के इस्तेमाल करने पर यही तकनीक इंसान को अकेला भी कर सकती है। वे कहते हैं, “एक एक्टर होने के नाते, जो सोशल मीडिया और टेक प्लेटफॉर्म पर रहता है, मुझे लगता है कि टेक्नोलॉजी एक दोधारी तलवार है। इसे दोष देने के बजाय हमें इसे समझदारी से इस्तेमाल करना चाहिए। संतुलन ज़रूरी है।”
लोग AI या सोशल मीडिया से भावनात्मक सहारा क्यों ढूँढ रहे हैं, इस पर आदेश एक संवेदनशील नजरिया रखते हैं। वे कहते हैं, “मुझे लगता है लोग AI या सोशल मीडिया पर इसलिए जाते हैं क्योंकि वहाँ पहुँच आसान है, पहचान छुपी रहती है और लोग खुद को कम जज महसूस करते हैं। डिजिटल प्लेटफॉर्म कुछ हद तक सहारा दे सकते हैं, लेकिन वे इंसानी रिश्तों की जगह नहीं ले सकते।”
वे यह भी बताते हैं कि उनका खुद का टेक्नोलॉजी के साथ रिश्ता कभी-कभी भारी लगने लगा था। वे कहते हैं, “मैंने तय समय रख लिया है कि कब सोशल मीडिया या काम से जुड़ी चीज़ें देखनी हैं। उसके बाद मैं खुद को अलग करता हूँ और परिवार, दोस्तों के साथ समय बिताता हूँ या फिर पढ़ने और वर्कआउट जैसे शौक पूरे करता हूँ।”
मुख्य समस्या पर बात करते हुए आदेश कहते हैं कि सोशल मीडिया कंपनियों और AI डेवलपर्स को भी अपनी ज़िम्मेदारी निभानी चाहिए। “मुझे लगता है कि उन्हें कंटेंट मॉडरेशन और मजबूत करना चाहिए। साथ ही सकारात्मक कंटेंट, मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता और डिजिटल वेल-बीइंग फीचर जैसे ‘ब्रेक लेने’ के रिमाइंडर भी बहुत मदद कर सकते हैं।”
आखिर में वे यह भी जोड़ते हैं कि पब्लिक फिगर्स को भी जागरूकता फैलानी चाहिए। “मुझे लगता है कि सेलिब्रिटीज़ और इन्फ्लुएंसर्स की बड़ी भूमिका होती है। एक पब्लिक फिगर के तौर पर मेरी जिम्मेदारी है कि मैं अपने प्लेटफॉर्म का सही इस्तेमाल करूँ—मानसिक स्वास्थ्य पर बात करूँ, टेक का जिम्मेदार इस्तेमाल बढ़ावा दूँ और अपने अनुभव साझा करूँ ताकि इन विषयों पर बातचीत सामान्य बन सके,” आदेश कहते हैं।

